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कषाय-विजय एवं तनाव-मुक्ति के सूत्रों को अक्षुण्ण भंडार है प्राकृत साहित्य- डॉ. शोभना शाह

लाडनूँ 29 जून 2022। प्राकृत साहित्य में अध्यात्म के साथ-साथ समसामयिक विषयों पर भी अनेक सूत्रों का गुम्फन प्राप्त होता है। इस साहित्य में कषाय-विजय एवं तनाव मुक्ति के अनेक सूत्र प्राप्त होते हैं। ये विचार जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित ‘भारत गौरवः प्राकृत भाषा एवं साहित्य’ विषयक ऑनलाईन व्याख्यानमाला के अन्तर्गत विशेष व्याख्यान प्रसतुत करते हुए मुख्य वक्ता गुजरात विद्यापीठ की सहायक आचार्या डा. शोभनाशाह ने प्रस्तुत किए। ‘प्राकृत साहित्य में कषाय-विजय एवं तनाव-मुक्ति’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डा. शाह ने कहा कि आज का युग तनावों सेग्रसित है, लेकिन मनुष्य यदि कषायों पर विजय प्राप्त कर ले तो सभी प्रकार के तनावों से मुक्ति पाई जा सकती है। अध्यक्षीय वक्तव्य में विभागाध्यक्ष डॉ. दामोदर शास्त्री ने कहा कि ये विषय केवल सुनने के लिए ही नहीं है, बल्कि इसे जीवन में उतारना भी आवश्यक है। व्यक्ति यदि कोशिश करें तो कषायों पर विजय करते हुए इससे मुक्ति प्राप्त की जा सकती है, जो मनुष्य का परम लक्ष्य है। उन्होंने इसके लिए प्राकृत साहित्य के अध्ययन पर बल दिया। कार्यक्रम का प्रारम्भ डॉ. समणी संगीतप्रज्ञा के मंगलाचरण एवं स्वागत वक्तव्य से हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से 30 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

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