सिखाने की विधियों सम्बंधी एक्सचेंज कार्यक्रम में प्रदर्शन विधि पर व्याख्यान
स्पष्ट एवं स्थाई ज्ञान के लिए क्रियात्मक प्रयोगों का उपयोग जरूरी- डा. रेणु शर्मा
लाडनूँ, 1 अगस्त 2022। श्री अग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय, सी.टी.ई, केशव विद्धयापीठ, जामडोली, जयपुर के डॉ. रेणु शर्मा ने कहा कि सीखाने की शैली में प्रदर्शन विधि में शिक्षक कुछ प्रयोगों, उपकरणों एवं उनकी कार्यविधि का प्रदर्शन करता है। शिक्षक पाठ्य विषय को पढाने के साथ-साथ सम्बन्धित विषय में स्वयं प्रयोग करके दिखाता है। विषयवस्तु को इस विधि में छात्र सुनता है एवं देखता है। विज्ञान विषय के अध्यापन में यह विधि महत्त्वपूर्ण है। छात्र एवं शिक्षक दोनों सक्रिय, अवलोकन क्षमता में वृद्धि, छात्र बोरियत नहीं होते, छात्रों में उत्साह, प्रसन्नता एवं आनन्द की अनुभूति, दृश्य सामग्री का प्रदर्शन, पाठ के प्रति जिज्ञासा, अनुशासन की भावना का पालन, प्रत्यक्ष अवलोकन से सीखना, चित्र, चार्ट एवं वस्तुओं को प्रदर्शित करके सीखाना, प्रत्यक्ष अनुभव से सीखना, ज्ञानेन्द्रियों से ज्ञानार्जन, कक्षा शिक्षण में शिक्षण सामग्री का अनुप्रयोग, विविध उपकरणों का प्रयोग, विज्ञान एवं भूगोल में प्रत्यक्ष ज्ञान कराने में सक्षम, यथार्थता सिद्ध करने में उपयोग, यंत्र काम में लाने का कौशल, वैज्ञानिक तथ्यों की यथार्थता का अनुभव, वैज्ञानिक घटना को दृश्य के रूप में प्रस्तुतिकरण, प्रयोग प्रदर्शन, स्पष्ट एवं स्थाई ज्ञान, क्रियात्मक प्रयोगों को आसानी से समझाना आदि कथन इस विधि में प्रयुक्त होते हैं। वे यहां जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत छठे दिवस अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर रही थी। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल.जैन ने बताया कि प्रदर्शन विधि से शीघ्र सिखाना एवं स्थायी सीखाना होता है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग की छात्राएं एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
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