शांति एवं सह अस्तित्व भारतीय संस्कृति का मूल आधार

लाडनूँ, 3 दिसम्बर 2022। जैन विश्वभारती संस्थान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के संरक्षण तथा मार्गदर्शन में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में पंच-प्रण थीम को आधार मानकर भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्यों के संदर्भ में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में संस्कृति एवं विरासत संरक्षित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम रखा गया, जिसमें मुख्य वक्ता अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो.रेखा तिवारी ने बताया कि भारतीय संस्कृति व धरोहर को संपूर्ण विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त है। हमारे वेद एवं पुराण, जिनमें भाईचारा, शिष्टाचार, मानवता, कर्तव्य-परायणता, परोपकार एवं त्याग संबंधी आदर्श समाहित हैं, का पालन सदैव सबको करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि अपनी ऊर्जा का उपयोग दूसरों की निंदा के लिए करने के बजाय अपने विकास एवं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए करना चाहिए। हमारी संस्कृति में अधिकारों की बजाय दायित्वों को सर्वोपरि माना गया है। हमें दूसरों के प्रति उसी प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, जिस प्रकार की अपेक्षा हम अपने प्रति दूसरों से करते हैं। छात्रा राधिका चौहान, कांता सोनी एवं राखी शर्मा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. बलबीर सिंह ने किया। अंत में सह-संयोजक अभिषेक शर्मा ने आभार ज्ञापित किया।

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