उत्तराध्ययन सूत्र में वर्णित मौलिक मूल्यों से संभव है राष्ट्र का पुनर्निर्माण- संमणी डाॅ. संगीतप्रज्ञा

लाडनूँ, 27 फरवरी 2023। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग एवं भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय संस्कृति में निहित मौलिक मूल्य तथा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में उनकी प्रासंगिकता (जैन साहित्य के विशेष संदर्भ में)’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग की समणी डाॅ. संगीतप्रज्ञा ने सारस्वत वक्ता के रूप में ‘उत्तराध्ययन-सूत्र में वर्णित मौलिक मूल्य एवं राष्ट्र के पुनर्निर्माण में उनकी प्रासंगिकता’ विषय पर अपना सम्बोधन प्रसतुत किया। डा. संगीतप्रज्ञा ने उत्तराध्ययनसूत्र में आए हुए मूल्यों के बारे में बताते मुख्य रूप से शिक्षाशील व्यक्ति के आठ स्थानों एवं सुविनीत के पन्द्रह स्थानों की चर्चा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा, यदि युवा पीढी आज भी इन स्थानों का पालन अपने जीवन में करें तो निश्चित ही हमारे देश का वर्तमान और भविष्य बहुत अच्छा हो सकता है

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