गूढ विषयों को समझना आसान हो जाता है कथा साहित्य से- प्रो. ऋषभचन्द जैन

लाडनूँ, 27 फरवरी 2023। जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित मासिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत एकलव्य विश्वविद्यालय, दमोह (म.प्र.) के प्रो. ऋषभचन्द जैन ‘फौजदार’ ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि कथा का इतिहास मानव इतिहास के समकक्ष ही है। उन्होंने कथाओं के अनेक प्रकारों का उल्लेख करते हुए प्राकृत के श्रेष्ठ कथा ग्रंथ कोडहल द्वारा विरचित ‘लीलावई कहा’ का परिचय अनेक दृष्टियों से प्रस्तुत किया। प्रो. जैन ने लीलावई कहा के काव्यतत्वों के विषय में भी विचार प्रस्तुत करते हुए, उसे महाकाव्य की उपमा दी। उन्होंने इस कथा-ग्रन्थ में वर्णित वन, उपवन, ऋतुआंे के वर्णन आदि के माध्यम से भारतीय संस्कृति और भौगोलिक स्थिति का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया तथा कहा कि वर्तमान में ये हमारी जानकारी को वृद्धिंगत करने में महत्वपूर्ण है। प्रो. जैन ने इस कथा-ग्रन्थ को अनेक दृष्टियों से उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कथाएं शिक्षा प्राप्ति का उत्कृष्ट माध्यम है। इन कथाओं के माध्यम से गूढ़ से गूढ़ विषय को भी आसानी से समझा जा सकता है। कार्यक्रम में जुड़े अनेक प्रतिभागियों ने अपने विचार एवं जिज्ञासाएं रखी, जिनका समाधान प्रो. ऋषभचन्द जैन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलाचरण से किया गया। डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा ने स्वागत भाषण एवं विषय-प्रवर्तन किया। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन सव्यसाची षडंगी ने किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 25 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

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