आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में “अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस” पर भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन
मातृभाषा से होता है मानसिक विकास- प्रो. त्रिपाठी
लाडनूँ, 21 फरवरी 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मेें प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि मातृभाषा जीवन की पहली सीढी होती है और इसके माध्यम से जो ज्ञान सीखा जाता है, वह विद्यार्थी सहजता से हृदयंगम कर सकता है, वहीं उसका अपनी भाषा द्वारा मानसिक विकास भी संभव हो पाता है, साथ ही सीखी हुई बातों को लम्बे समय तक उसे स्मृति में भी बनाया रखा जा सकता है। मातृभाषा द्वारा अन्य संस्कृतियों को समझने में एवं उनके साथ समन्वय स्थापित करने में भी सहायता मिलती है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 19 साल पहले मातृभाषा दिवस घोषित किया था, ताकि इसके महत्व को समझा जा सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मानव संसाधन मंत्रालय ने मातृभाषा को महत्व देते हुये देश भर में मातृभाषा को अंगीकार करने के लिये अभियान चलाया है। कार्यक्रम में हेमलता शर्मा, मेहनाज बानो, सुमन प्रजापत, करिश्मा खान, नन्दिनी पारीक, दक्षता कोठारी, नीलोफर बानो आदि ने मातृभाषा पर अपने विचार प्रकट किये और इसमें अपनत्व की भावना को महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी व्याख्याता अभिषेक चारण ने किया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य एवं छात्रायें उपस्थित रही।
संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में भी मातृभाषा दिवस के अवसर पर भाषण एवं निबंध प्रतियेागिता का आयेाजन किया गया। प्रतियोगिता में कुल 80 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि मातृभाषा हमारी संवेदनाओं की वाहक होती है। अपनी मातृभाषा में अधिकतर बात करना अच्छा होता है, क्योंकि यह हमारा मूल आधार है और यह हमें अपनत्व का बोध करवाती है। कार्यक्रम में डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरधारी लाल मुकुल सारस्वत, देवीलाल आदि उपस्थित रहे।
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