जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) देश में सबसे अनोखा विश्वविद्यालय
जहां रोज ध्यान के साथ शुरू होते हैं सभी दैनिक कार्य
लाडनूँ, 27 दिसम्बर 2018। प्रातः जब कार्यालय समय होता है और विश्वविद्यालय में पढने व पढाने वाले या शिक्षणेत्तर कार्य करने वाले सभी आते हैं तो सबसे पहले शांतचित्त होकर प्रार्थना के साथ ध्यान का अभ्यास करते हैं। यह प्रतिदिन की दिनचर्या यहां के जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य) विश्वविद्यालय में देखने को मिलेगी। यहां विद्यार्थियों ही नहीं बल्कि समस्त काम करने वाले कर्मचारियों व शिक्षकों सभी के लिये ध्यान व योग का अभ्यास आवश्यक है। समय-समय पर विशेष शिविर लगाये जाकर भी योग व ध्यान का अभ्यास सबको करवाया जाता है। उच्च शिक्षा का संभवतः यह पहला संस्थान है, जहां शांति, अनुशासन, अध्यात्म और नैतिकता का पूर्ण समावेश देखने को मिलता है।
सिखाई जाती है जीवन जीने की कला
लाडनूँ का यह जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) पूरे देश में इस दृष्टि से एक अनोखा विश्वविद्यालय कहा जा सकता है। यहां अन्य विश्वविद्यालयों से बिलकुल अलग माहौल है, जहां अनुशासन, चरित्र, शांति और सुरम्यता का वास इसकी विशेषताओं में सम्मिलित हैं। प्रायः विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों में पाई जाने वाली उच्छृंखलता, असौम्यता या आवेश के विपरीत यहां बिल्कुल शांत, अनुशासित व सद्प्रवृतियों से युक्त विद्यार्थी नजर आयेंगे। जहां इस विश्वविद्यालय में हरीतिमा युक्त प्राकृतिक, शांत, मनोरम व आध्यात्मिक वातावरण बरबस ही लोगों को आकर्षित करता है, वहीं यहां का आध्यात्मिक वातावरण भी मन को आकर्षित कर लेता है। इस संस्थान की सबसे बड़ी विशेषता ही यह है कि यह मूल्यपरक शिक्षण-प्रशिक्षण के लिये समर्पित है। यह भी इस विश्वविद्यालय की विशेषता है कि यहां जीविकोपार्जन के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी जाती है। इसकी गतिविधियां लाभ के लिये संचालित नहीं होकर मानव कल्याण के निमित संचालित होती है।
ध्यान व प्रार्थना से शुरू होते हैं कार्य
आमतौर पर उच्च शिक्षा संस्थानों के माहौल से अलग यहां की यह भी एक विशेषता है कि इस संस्थान में चाहे विद्यार्थी हों या शिक्षक अथवा गैर शैक्षणिक कर्मचारी सभी अपना कार्य नियमित प्रार्थना व ध्यान से शुरू करते हैं। यहां प्रतिदिन समस्त कर्मचारियों को प्रार्थना व ध्यान करने होते हैं तथा इसके पश्चात उनकी कार्यस्थल की दिनचर्या शुरू की जाती है। यही कारण है कि यहां का समस्त स्टाफ स्वभाव से विनम्र, अनुशासित, शांत व व्यवहारिक बना रहता है। नियमित ध्यान का प्रभाव उनके स्वभाव, व्यवहार व जीवनचर्या में बदलाव लाता है और वह उनके कार्य में परिलक्षित होता है। जब स्टाफ या शिक्षक विश्वविद्यालय में नम्र व शांत होंगे तो उनके आचरण को देखकर संस्कारित होने वाले विद्यार्थी भी निश्चित रूप से उनके अनुरूप ही होंगे।
अध्यात्मिक अनुशासन और दिशा-निर्देशन
यह देश का पहला संस्थान होगा, जिसमें कुलपति एवं कुलाधिपति के अतिरिक्त एक पद और तय किया गया है, और वह है अनुशास्ता का पद। यह पद संस्थान का संवैधानिक पद है। अनुशास्ता के पद पर धर्माचार्य होते हैं, जो संस्थान को अपने नैतिक निर्देशों से लाभान्वित करते हैं। जैन श्वेताम्बर तेरापथ धर्मसंघ के नौंवे आचार्य आचार्यश्री तुलसी यहां इसके अनुशास्ता थे। उनके बाद द्वितीय अनुशास्ता के रूप में आचार्यश्री महाप्रज्ञ रहे और वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण इस संस्थान के अनुशास्ता है। इनकी आध्यात्मिक वैचारिक रश्मियों से सम्पूर्ण विश्वविद्यालय आलोकित होता है और उनकी तेजस्विता से प्रभावित होता है। यह उनका ही प्रभाव है कि यहां आने वाला हर विद्यार्थी स्वतः ही अपने स्वभाव में परिवर्तन पाता है। विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी भी इन धर्मगुरूओं के प्रभामंडल से ओजस्वित रहते हैं। यहां प्रवास करने वाले मुनिगण भी विश्वविद्यालय की गतिविधियों को ध्यान में रखते हैं तथा अपनी आध्यात्मिक शक्ति से प्रभावित करते हैं।
इनका कहना है
हमारे यहां योग व जीवन विज्ञान, अहिंसा एवं शांति सम्बंधी अलग विभाग बने हुये हैं तथा आचार्य तुलसी आदि आचार्यों की यह तपोभूमि होने से वातावरण सदैव आध्यात्मिक प्रभाव से युक्त रहता है। नैतिकता के प्रति सभी कार्मिकों का अगाध विश्वास यहां होने से यहां की व्यवस्था के अनुरूप सभी अपनी रूचि से दैनिक प्रार्थना व ध्यान के साथ अपना कार्य प्रारम्भ करते हैं। इससे सभी कर्मचारियों की कार्यक्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पैदा होता है।
- प्रद्युम्न सिंह शेखावत, उप कुलसचिव, जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय), लाडनूँ ।
Latest from
- व्याख्यानमाला में सर्वमान्य आचार्य कुंदकुंद के साहित्य पर सूक्ष्मता से विवेचन प्रस्तुत
- संस्कार निर्माण के साथ योग शिक्षा रोजगार प्राप्ति का भी साधन- प्रो. त्रिपाठी
- स्वच्छता एवं मतदान जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित
- महिलाओं व पुरूषों की प्रजनन प्रणाली और बांझपन के कारण और निवारण पर विमर्श
- पत्रकार के रूप में महात्मा गांधी ने अहिंसक सम्प्रेषण लोगों के दिलों तक पहुंचाया- प्रो. चितलांगिया
- ‘भारतीय परंपराओं में अहिंसक संप्रेषण की खोज’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान का 34वें स्थापना दिवस समारोह आयोजित
- ‘जीवन में सफलता के मंत्र’ पर व्याख्यान आयोजित
- संस्थान की एनएसएस छात्रा बेंदा ने राष्ट्रीय एकता शिविर में किया योग का प्रदर्शन
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय सेवा योजना का तृतीय एक दिवसीय शिविर आयोजित
- डाॅ. शेखावत द्वारा इजाद किए गए एआई पर्यावरण मोनिटरिंग उपकरण को अन्तर्राष्ट्रीय पेटेंट मिला
- ‘मेरा प्रथम वोट- मेरा देश’ अभियान के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने ली शपथ
- सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है नैतिकता- प्रो. बीएम शर्मा
- सस्थान में आईसीपीआर की ओर से वैश्वीकरण की नैतिकता पर व्याख्यान आयोजित
- एनएसएस की स्वयंसेविका खुशी जोधा का युवा संसद के लिए राज्य स्तर पर चयन
- संस्थान के 14वें दीक्षांत समारोह का अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में वाशी, नवी मुम्बई, महाराष्ट्र में भव्य आयोजन
- वसंत पंचमी पर गीत-संगीत की सुमधुर प्रस्तुतियों से रिझाया मां शारदे को
- नई शिक्षा नीति जागरूकता क्विज प्रतियोगिता आयोजित, 6 छात्राओं ने किया टॉप
- सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने दिखाया अपनी प्रतिभा का कौशल
- आशु भाषण, पोस्टर पेंटिंग व एकल गायन कविता प्रतियोगिता आयोजित
- नैतिकता की सीख देने वाले नाटकों और राजस्थानी रंगों से सजी रंगोलियों की प्रस्तुति
- आध्यात्मिक मनोविज्ञान विषय पर व्याख्यान आयोजित
- पर्यटन दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- ग्राम खानपुर व भियाणी में विकसित भारत जागरूकता रैली निकाली
- नई शिक्षा नीति को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
- गणतंत्र दिवस समारोह पूर्वक मनाया
- विश्व दार्शनिक दिवस पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजित
- युवाओं में राष्ट्रीय भावना की जागृति आवश्यक- प्रो. रेखा तिवाड़ी
- संस्कार-निर्माण के लिए एकाग्रता, संकल्प शक्ति व आवेश पर नियंत्रण का अभ्यास जरूरी
- सक्षम युवा सशक्त राष्ट्र के निर्माण का आधार - प्रो. जैन
- एक दिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
- राष्ट्रीय गणित दिवस पर बताए गणित के जादुई फार्मूले
- राष्ट्रीय सेवा योजना का प्रथम एक दिवसीय शिविर का आयोजन
- अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया
- लैंगिक असमानता की रोकथाम के लिए साप्ताहिक कार्यक्रम में व्याख्यान आयोजित
- ‘सशक्त नारीःसशक्त राष्ट्र’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ
- ‘प्राकृत वांगमय में तनाव प्रबंधन के सूत्र’ विषय पर व्याख्यान आयोजित
- लाडनूँ की प्रगति को दूरस्थ व ऑनलाईन शिक्षा में ‘ए’ ग्रेड मिला
- संस्थान के सदस्यों ने अनुशास्ता आचार्य के दर्शन किए
- बिरसा मुण्डा जयन्ती पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाया, आदिवासियों के विकास पर चर्चा
- गायन प्रतियोगिता में रेणु मनोत प्रथम रही
- आचार्य तुलसी की 110 वीं जयंती पर गुरू सुमरिन सभा आयोजित
- पूजा-अर्चना, भजन-संगीत के साथ मनाया दीपावली का पर्व
- साधना से व्यक्तित्व विकास के साथ शारीरिक-मानसिक शक्तियों का विकास संभव- प्रो. जैन
- ग्रीटिंग कार्ड मेकिंग प्रतियोगिता में दिव्या भास्कर प्रथम रही
- 75 दिवसीय भारतीय भाषा उत्सव में ‘मूल्य शिक्षा का महत्त्व’ पर सेमिनार आयोजित
- भ्रष्टाचार के विरोध एवं राष्ट्र समर्पण के लिए सतत सतर्क व जागरूकता जरूरी
- स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत रैली का आयोजन
- एनएसएस के स्वच्छता अभियान में व्याख्यान का आयोजन