जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में जन्माष्टमी पर कार्यक्रम का आयोजन

कृष्ण ने पुरूषार्थ से मानव-कल्याण का मार्ग दिखाया

लाडनूँ, 28 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में जन्माष्टमी पर्व को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सरोज राय ने इस अवसर पर भगवान कृष्ण के जीवन और जन्माष्टमी के व्यावहारिक पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कृष्ण ने स्थितप्रज्ञ होकर जीवन के समस्त आयामों को पूर्णता के साथ स्वीकार किया। कृष्ण ने प्राणीमात्र को कर्म करने के अधिकार के बारे में संदेश देते हुए स्पष्ट किया कि उसका फल उसके अधीन नहीं होता है। उन्होंने व्यक्ति की महानता उसके कर्मों के आधार पर व्यक्त करते हुए जन्म से श्रेष्ठता को नकारा। डॉ. राय ने कहा कि महाभारत ग्रंथ में आया श्रीकृष्ण का उपदेश युग-युगान्तर तक प्रासंगिक बना रहेगा। उनके पुरूषार्थ भरे उपदेशों में जीवन की प्रत्येक समस्या के निदान संभव है और वे जीवन के कर्मक्षेत्र में आगे बढने की सतत प्रेरणा देते हैं। कृष्ण के मानवता को सर्वोपरि स्थान दिया है तथा मानव कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करते हुए समर्पित भाव से मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए जीने का संदेश दिया है। विभाग की छात्राध्यापिकाएं अमीषा पूनिया, नीतू जोशी, सोनिया राठौर, आमना, मनीषा मेहरा, किरण सान्दू, कोमल शर्मा, अमृता शर्मा व निधि गुर्जर ने कृष्ण सम्बंधी भजन एवं विचार प्रकट किए। विभागाध्यक्ष प्रो. बनवारीलाल जैन ने कृष्ण के जीवन को बहुआयामी बताते हुए कहा कि उनकी सम्पूर्ण लीलाएं रीति-नीति, कला, ज्ञान, व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करती हैं। अंत में डॉ. आभा सिंह ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, डॉ. आभासिंह आदि उपस्थित रहे।

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