संस्थान को NAAC से मिला "A" ग्रेड

ड्यूल मोड में मूल्यांकित होने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय

भारत सरकार द्वारा देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन के लिए गठित ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायान परिषद (नैक)’ की पांच सदस्यीय टीम ने यहां जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय का दौरा करके निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के बाद नैक ने जैन विश्वभारती संस्थान को ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया है। इस ‘ए-ग्रेड’ प्राप्त होने के बाद यह संस्थान देश के श्रेष्ठ ‘ए’ ग्रेड स्तर के चुनिन्दा विश्वविद्यालयों में सम्मिलित हो गया है। जैन विश्वभारती संस्थान ड्यूल मोड में मूल्यांकित होने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय है। संस्थान के नैक एक्रीडिशन में ए-ग्रेड प्राप्त होने पर यहां संस्थान में खुशियां मनाई गई।

राष्ट्रीय केन्द्र ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बने

कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने बताया कि नैक टीम ने अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट में संस्थान के बारे में अपनी राय देते हुए लिखा है- जैन विद्या एवं योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तरीय ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केन्द्र के रूप में जैन विश्वभारती संस्थान को मान्यता दिए जाने की आवश्यकता है। संस्थान प्राचीन भारतीय पाण्डुलिपियों का अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ केन्द्र बनने की पूर्ण अर्हता रखता है। संस्थान जैन आगमों पर आधारित पांडुलिपियों में निहित प्रमुख ज्ञान-भंडार का पता लगाकर वैश्विक जगत् को समृद्ध कर सकता है। नैक रिपोर्ट के अनुसार इस संस्थान का विजन, मिशन, नीतियां और व्यावहारिक प्रक्रियाएं भारतीय मूल्यों, संस्कृति तथा अनुशास्ताओं की परम्पराओं पर आधारित है। संस्थान के पाठ्यक्रमों को शिक्षा के माध्यम से समग्र मानवता के विकास के लिए समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित किया गया है। अहिंसा और शांति के क्षेत्र में विशिष्ट शिक्षण, अनुसंधान और प्रचार-प्रसार इस संस्थान के विशिष्ट पदचिह्नों को निर्मित करता है। संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी के उच्च स्तर के अनुप्रयोगों के साथ आधुनिक और पारम्परिक शिक्षा प्रणाली का एक आदर्श मिश्रण है।

दूरदृष्टि व नवाचारों से आया बदलाव

कुलसचिव मेहता के अनुसार यह सब उपलब्धि कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ द्वारा दूरदृष्टिपूर्ण निर्णयों एवं विकास के लिए नवीन आयाम स्थापित करने से हासिल हो पाई है। उनके प्रयासों के कारण ही आज यह विश्वविद्यालय पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बन पाया है। उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो. दूगड़ ने एक अभिभावक के रूप में पूरे स्टाफ और विद्यार्थी वर्ग के साथ अपना रवैया व सम्बंध बनाए रखे और उनकी अपनी प्रगति के लिए उनमें रूचि का जागरण किया। इसके लिए उनके द्वारा शुरू किए गए नवाचार कहीं अन्यत्र नहीं मिल सकते। यहां विदेशों के विश्वविद्यालयों से अध्ययन के लिए काफी विद्यार्थी आते रहे हैं। वहां के विश्वविद्यालयों से इसका एमओयू है। विश्वविद्यालय अपने अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप को बनाए रखकर यहां मरूभूमि क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाए हुए है, जो विशेष बात है।

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