संस्थान को "A" ग्रेड मिलने पर कार्यक्रम का आयोजन

मूल्य-आधारित शिक्षा की नीतिगत विशेषता रखता है जैविभा विश्वविद्यालय- कुलपति

जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय को ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्रदान किए जाने पर यहां सेमिनार हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्मिकों को बधाई देते हुए बताया कि यह सबकी मेहनत और सामूहिक प्रयासों से हुआ है। उन्होंने इस संस्थान को ‘ए-प्लस’ ग्रेड मिलने की उम्मीद जताते हुए बताया कि हमें ‘ए’ ग्रेड मिलने पर ही संतोष नहीं करना है और लगातार प्रयासों और सुधारों पर ध्यान देकर अगली बार ‘ए-प्लस’ ग्रेड प्राप्त करनी है। सभी संस्थान सदस्यों में परस्पर जुड़ाव बना रहने पर ही परिणाम की उत्कृष्टता बनती है। उन्होंने कहा कि ‘ए’ ग्रेड मिलने पर भी सबको हर्ष हुआ है और जश्न का माहौल बना है, लेकिन इससे भी आगे निकलने की उम्मीद हमें निरन्तर रखनी होगी। संस्थान के इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्वच्छता ने यहां आई नैक की टीम को सबसे अधिक आकर्षित किया। हमारे सभी प्रस्तुतिकरण भी श्रेष्ठ थे और लाईब्रेरी और पांडुलिपि संरक्षण कार्य की टीम द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई। टीम के सदस्यों ने उनके रिकॉर्डिंग तक अपने विश्वविद्यालयों के लिए साथ ले गए और अपने व्यक्तियों को प्रशिक्षण के लिए भी यहां भिजवाने की बात कही है।

ए-ग्रेड प्राप्त ड्यूल मोड वाला देश का पहला विश्वविद्यालय

दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने नैक टीम के सदस्यों की भावनाओं के बारे में बताया तथा कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान ड्युअल मोड में मूल्यांकित होने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय है, जिसे ‘ए’ ग्रेड प्राप्त हुआ है। यह संस्थान देश के श्रेष्ठ ‘ए’ ग्रेड स्तर के चुनिन्दा विश्वविद्यालयों में सम्मिलित हो चुका है। उन्होंने बताया कि नैक टीम भी यह मानती है कि इस संस्थान को जैन विद्या एवं योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तरीय ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केन्द्र के रूप में मान्यता दिए जाने की आवश्यकता है। इस संस्थान को उन्होंने प्राचीन भारतीय पाण्डुलिपियों का अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ केन्द्र बनने की पूर्ण अर्हता सम्पन्न माना है और कहा है कि संस्थान जैन आगमों पर आधारित पांडुलिपियों में निहित प्रमुख ज्ञान-भंडार का पता लगाकर वैश्विक जगत् को समृद्ध कर सकता है।

गुणवतापरक शोध पर ध्यान दें

प्रो. नलिन के. शास्त्री ने विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि के बाद हमें अगले पांच साल के लिए निश्चिंत होकर बैठ नहीं जाना है, बल्कि यूजीसी के मानक पर अपने-अपने विभागों को सतत गति देते रहना है। हमें पांचवर्षीय परियोजना पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अनवरत क्रियाशील व गतिशील रहना है। हमें गुणवतापरक शोध पर विशेष ध्यान देना होगा तथा पांच साल बाद ‘ए-प्लस’ ग्रेड हासिल करनी है। कार्यक्रम को प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. अनिल धर, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डॉ. पुष्पा मिश्रा, श्वेता खटेड़, प्रमोद ओला, दीपाराम खोजा आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में संस्थान के शैक्षणिक च गैर शैक्षणिक सभी कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. युवराजसिंह खांगारोत ने किया।

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