लाडनूँ, 14 मई 2022। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की दोनों इकाइयों की स्वयंसेवकिाओं ने यहां प्रार्थना सदन में सामृहिक रूप से योग की क्रियाएं की। योग प्रशिक्षिका डॉ. विनोद सियाग ने इस अवसर पर कहा कि अष्टांग योग के आसन व प्राणायाम दोनों महत्वपूर्ण अंग हैं। इनके अलावा अनेक सूक्षम यौगिक क्रियाएं भी हैं, जिन्हें किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति कभी कर सकता है। इन्हें बैठे-बैठे भी किया जा सकता है। इनमें ललाट की क्रियाएं, आंखों की क्रियाएं, गर्दन की क्रियाएं, हाथों व पैरों, घुटनों आदि की क्रियाएं शामिल हैं। डॉ. सियाग ने सभी को एक साथ सूक्ष्म क्रियाओं का अभ्यास करवाया। यह कार्यक्रम विश्व योग दिवस की पूर्व तैयारियों के रूप में करवाया गया। कार्यक्रम में स्वयंसेविकाओं के अलावा प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डॉ. प्रगति भटनागर, अजयपाल सिंह भाटी, जगदीश यायावर, डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज, श्वेता खटेड़ आदि उपस्थित रहे।