इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स पर ‘यम्मी मिल्लेट्स’ कुकिंग प्रतियोगिता आयोजित

संतुलित आहार का पड़ता है जीवन शैली पर प्रभाव- डॉ. प्रधान

लाडनूँ, 15 अक्टूबर 2022। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशित एवं संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित कार्यक्रम ‘वर्ष 2023ः अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज’ पर चल रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में ‘यम्मी मिल्लेट्स’ कुकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस ‘यम्मी मिल्लेट्स’ कुकिंग प्रतियोगिता में 30 छात्राध्यापिकाओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता में देशी व मोटे अनाज के विविध प्रकार के लजीज व्यंजन बनाए गए। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सहायक आचार्य डॉ. बी .प्रधान ने कहा कि जिस प्रकार का भोजन ग्रहण किया जाता है, उसी प्रकार का हमारा मन व शरीर बन जाता है। संतुलित आहार का हमारी जीवन शैली पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए सभी को अपनी दैनिक जीवन में मोटे अनाज युक्त और चोकर युक्त भोजन को शामिल करना चाहिए। डॉ. आभा सिंह ने कहा कि प्राचीन विरासत और प्राचीन खान-पान की तरफ और हमारी संस्कृति की तरफ वापस लौटने का समय आ गया है। हमें मोटा अनाज अपने खान-पान में सम्मिलित करना चाहिए, क्योंकि मोटा अनाज स्वास्थ्य के सर्वाधित लाभप्रद होता है। उन्होंने बताया कि मिलेट्स की फसल में हानिकर केमिकल्स और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं होता है। वर्तमान में बदलते परिवेश और जीवन-शैली के लिए मोटा अनाज कैल्शियम युक्त और उच्च पोषण वाला होने से चामत्कारिक अनाज माना जाने लगा है। ‘यम्मी मिल्लेट्स’ कुकिंग प्रतियोगिता की समन्वयक डॉ. सरोज राय ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय इयर ऑफ मिलेट्स समर्थित संकल्प का उद्देश्य समाहित करने से वैश्विक जागरूकता, खाद्य सुरक्षा, पोषण, आजीविका सुरक्षित करना, किसानों की आय बढ़ाना, गरीबी उन्मूलन और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान देने की दृष्टिकोण से प्रभावी है। इसलिए भोजन में इन पोषक अनाजों को शामिल करने से हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहता है। मिलेट्स पोषक तत्त्वों से भरपूर व फाइबर युक्त होने के कारण स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से लाभदायक होता है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के समस्त संकाय सदस्य डॉ. मनीष भटनागर डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला आदि उपस्थित रहे।

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