सात दिवसीय नेशनल एफडीपी कार्यक्रम का आयोजन

उच्च शिक्षा का विषय-चिन्तन सार्वभौमिक होना चाहिए- प्रो. बैरवाल

लाडनूँ, 3 जुलाई 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में चल रहे सात दिवसीय नेशनल एफडीपी कार्यक्रम के तहत चैधरी रणवीरसिंह विश्वविद्यालय जींद हरियाणा के प्रो. संदीप बैरवाल ने ‘उच्च शिक्षा के विविध आयाम’ पर बोलते हुए कहा कि यह विषय सार्वभौमिक होना चाहिए। सार्वभौमिक तरीके से ही इस विषय का प्रयोग किया जाना चाहिए। यह कोई नया विषय नहीं है। अनेक कमेटियों, विभिन्न नीतियों एवं नई शिक्षा नीति-2020 में इस पर पूरा जोर दिया गया है। हमारी शोध का विषय भी अन्तर्विषयी, बहुविषयी, क्राॅसविषयी होना चाहिए। तभी इसका शिक्षा में सार्थक प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही विशेष प्रकार के विद्यार्थियों के लिए अन्तर्विषयी शिक्षा का प्रयोग किया जा सकता है।

विश्वविद्यालयी शिक्षा में सुधार की जरूरत

प्रो.नलिन के. शास्त्री ने ‘उच्च शिक्षा में नवीन प्रवृतियां’ विषय पर कहा कि विश्वविद्यालय की उच्च शिक्षा में असमानता की भावना, प्रदेश में गुणवतापूर्ण विश्वविद्यालयों की कमी, ग्रामीण विश्वविद्यालय की कमी, गुणवतापूर्ण शिक्षा का अभाव, पाठ्यक्रम में सृजनात्मकता का अभाव, नवोन्मेष विधियों की कमी, मानवीय व भौतिक संसाधनों का कमी, शिक्षकों व विशेषकर योग्य शिक्षकों का अभाव, छात्र-शिक्षकों का उचित अनुपात नहीं होना, प्रामाणिकता की कमी व नैक के प्रति उदासीनता, शोध की गुणवता में गिरावट, अन्तःसम्बंध शोध की कमी आदि चुनौतियां हैं, जिनका समाधान नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति समग्र विकास परक, रोजगार परक शिक्षा, लचीलेपन की शिक्षा, वैश्विक शिक्षा से ओतप्रोत तथा मानव सृजन का विकास करने में सक्षम है।

तकनीकी व डिजीटल शिक्षा को दे बढावा

प्रो. शास्त्री ने कहा कि शिक्षण, शोध और प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों को विशेष व अनूठी भूमिका निभाने की जरूरत है। इसके लिए शिक्षकों को ऊर्जावान बनाना, अच्छा कार्य करने वाले संस्थानों को आगे बढाना, व्यक्तित्व का निर्माण करना, वंचित वर्ग को आगे बढाना, प्रबंधन को पारदर्शी बनाना, भारतीय शिक्षा को बढाना, नए प्रवर्तन को बढाना, तकनीकी प्रयोग को श्रेष्ठ बनाना, मोबाईल व डिजीटल से शिक्षा व परीक्षा, मानवीय समस्याओं के समाधान तथा प्रोजेक्ट बेस लर्निंग का प्रचलन बढाना होगा। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने प्रारम्भ में वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया। अंत में डाॅ. सरोज राय व डाॅ. बी. प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. बाबूलाल मीणा, डाॅ. विनोद जैन, डाॅ. रविन्द्र राठौड़, डाॅ. लिपि जैन, डाॅ. अमित राठौड़, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, डाॅ. ममता सोनी, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, प्रमोद ओला, ललित कुमार आदि उपस्थित रहे।

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