आचार्यश्री महाश्रमणजी के बहुआयामी कर्तृत्व पर आधारित पुस्तक का विमोचन

लाडनूँ, 22 जनवरी 2022। जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के कर्तृत्व पर आधारित प्रकाशित नवीन पुस्तक ‘‘आचार्य महाश्रमणः विविध आयामी अवदान’’ का विमोचन आचर्यश्री की पावन सन्निधि में किया गया। इस पुस्तक में देशभर के 22 मूर्धन्य विद्वानों के आलेखों का समावेश किया गया है। पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, पुस्तक के संपादक प्रो. दामोदर शास्त्री, जैन विश्वभारती के अध्यक्ष मनोज लूणिया, पूर्व अध्यक्ष धरमचन्द लूंकड़, अरविंद संचेती, अमरचंद लूंकड़, वित्त समिति सदस्य प्रमोद बैद, केवलचंद माण्डोत, प्रो. नलीन के. शास्त्री आदि उपस्थित रहे। संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने वक्तव्य में कहा कि गुरुदेव के बहुआयामी अवदानों के शब्दांकन का अत्यन्त लघु प्रयास इस कृति के माध्यम से संस्थान ने किया है, जिसे पूज्यवर को अर्पित किया जा रहा है। इस अवसर पर समाजशास्त्र के विद्वान् प्रो. रामप्रकाश द्विवेदी ने आचार्यश्री के अवदानों के विस्तृत फलक पर प्रकाश डालते हुए पूज्यवर के सम्मुख निवेदन किया कि जिस प्रकार मदनमोहन मालवीय के संकल्पों से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आविर्भूत हुआ है, उसी प्रकार जैन विश्वभारती संस्थान तेरापंथ के महान आचार्य गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी की प्रेरणा से संस्थापित हुआ है और इसके विकास में आचार्यश्री महाप्रज्ञ के संप्रेरण को आचार्यश्री महाश्रमणजी की प्रेरणा ने अद्भुत विस्तार दिया है, जिसकी फलश्रुत प्रणीति है कि संस्थान को हाल ही में नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्राप्त हुआ है एवं मूल्यनिष्ठ शिक्षा के सर्वोच्च केन्द्र के रूप में यह विश्वविद्यालय आगामी कालखंड में सम्पूर्ण देश को दिशाबोध दे सकने में समर्थ हो सकेगा। पूज्य आचार्यश्री ने अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए फरमाया कि विश्वविद्यालय ने कुलपति प्रो. दूगड़ के नेतृत्व में अच्छी प्रगति की है और विकास की गति को निरंतर गतिशील रखने की आशा है। विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या और विशेष रूप से जैन विद्या के विकास में वैश्विक स्तर पर अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वाह करे तथा इनके विस्तार में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करे, ऐसी अपेक्षा है।

Read 2195 times

Latest from