करूणा, सहिष्णुता व शांतिपूर्ण जीवन शैली के लिए अहिंसा प्रशिक्षण शिविर आयोजित
लाडनूँ, 13 मई 2025। जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा युवाओं में अहिंसा के सिद्धांतों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने तथा करुणा, समन्वय, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण जीवनशैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजकीय महिला महाविद्यालय सुजानगढ़ में एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के विभिन्न सत्रों में व्याख्यान, समूह चर्चा और व्यवहारिक अभ्यासों के माध्यम से अहिंसा के संदर्भ में जैन दर्शन, गांधीवादी विचारधारा एवं आंतरिक शुद्धता के सूत्रों को सरल रूप में प्रस्तुत किया गया। अहिंसा के व्यावहारिक प्रशिक्षण हेतु प्रेक्षाध्यान को महत्वपूर्ण आयाम माना गया।
अहिंसा का प्रशिक्षण दिया जाना दुर्लभ है
शिविर में विभाग की आचार्या डॉ. लिपि जैन ने अपने सम्बोधन में कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान एक ऐसा अनूठा मान्य विश्वविद्यालय है, जहां जैन दर्शन के मानवीय मूल्यों के साथ-साथ अहिंसा एवं शांति की शिक्षा प्रदान की जाती है और इसके लिए व्यावहारिक पद्धति के रूप में युवाओं के लिए अहिंसा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि आज संसार में हिंसा का प्रशिक्षण अनेक रूपों में दिया जा रहा है, लेकिन हमारा संस्थान ऐसा दुर्लभ स्थान है, जहां अहिंसा का प्रशिक्षण सुनियोजित रूप से दिया जाता है। विभाग के सह-आचार्य डॉ. आर.एस. राठौड़ ने कहा कि अहिंसा एक दर्शन एवं सिद्धांत ही नहीं है, बल्कि जीने का एक तरीका भी है। अहिंसा के सिद्धांतों एवं दर्शन को जीवन में अपनाकर व्यक्ति मानव सेवा एवं मानव कल्याण करने का माध्यम बन सकता है।
आचरण व भावनाओं को बदलने का काम
विभागाध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह ने शिविर में बताया कि उनका अहिंसा एवं शांति विभाग शांति और अहिंसा की शिक्षा देने के साथ-साथ व्यक्ति के आचरण, व्यवहार एवं भावनाओं में परिवर्तन कर उसे अहिंसक बनाए जाने पर जोर देता है। उन्होंने कहा कि अहिंसा एवं शांति ऐसे दो आयाम हैं, जिन पर न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस दिशा में क्रियाशील हैं। शिविर में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. मंजू बाफना ने अंत में आभार व्यक्त किया। शिविर में 142 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। साथ ही महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।
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