जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी समारोह पर प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजित
जैन विश्वभारती संस्थान में शुरू होगा आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल काॅलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योग
लाडनूँ, 3 जुलाई 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी समारोह के अन्तर्गत आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ इस विश्वविद्यालय के द्वितीय अनुशास्ता थे और उनका कहना था कि यह विश्वविद्यालय नाॅलेज सिटी के रूप में नहीं बल्कि इसे विजडम सिटी के रूप में विकसित किया जाना है। वे विश्वविद्यालय में ज्ञान के बजाये विवेक के विकास पर अधिक जोर देते थे। उन्होंने कहा कि इस जन्मशताब्दी वर्ष में इस विश्वविद्यालय में आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल काॅलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योग का शुभारम्भ किया जायेगा। इसके लिये आगामी दो-तीन माह में बिल्डिंग का काम हो जायेगा तथा अगले सत्र से उसमें पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर दिये जायेंगे। उन्होंने नेचुरोपैथी के साथ पंचकर्म आयुर्वेद भी शुरू करेंगे। मेडिकल काॅलेज में औषधालय बनेगा, रिसोर्ट बनेगा, जिसमें आम नागरिक भी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
सीए एवं सीएस की तैयारी के लिये कोचिंग शुरू होगी
प्रो. दूगड़ ने जन्मशताब्दी वर्ष में होने वाले प्रस्तावित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुये बताया कि इसमें राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन, जयपुर में जनसहयेाग से कार्यक्रम, विश्वविद्यालय परिसर के अलावा लाडनूं शहर में विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन करके महाप्रज्ञ के विचारों का प्रसर करना, साहित्य प्रसार के लिये स्थान उपलब्ध होने पर वहां महाप्रज्ञ का समस्त साहित्य उपलब्ध करवाना, आचार्य महाप्रज्ञ की विशिष्ट देन अहिंसा क्लब और योग एवं नैचुरोपथी के कार्यक्रम तैयार करने, सर्वधर्म सभा कार्यक्रम में सभी धर्मों के आचार्यों-संतों आदि को आंमत्रित करके उनके सम्बोधन करवाने आदि शामिल हैं। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में इसी साल स्किल बेस्ड कोर्स शुरू किये जायेंगे। यहां सीए और सीएस की तैयारी के लिये कोचिंग शुरू की जायेगी। उन्होंने विश्वविद्यालय को 12-बी की सुविधा मिलने, यूजीसी से प्रशंसा मिलने, नेक टीम के मूल्यांकन में बेहतरीन व्यवस्थायें पाये जाने पर बी-प्लस प्रदान किये जाने, विविध क्लबों का गठन करके उन्हें आर्थिक सहयेाग दिये जाने, वाई-फाई, कम्प्यूटर, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि भले ही यह एक छोटा विश्वविद्यालय हो, लेकिन सुविधाओं की दृष्टि से यह अव्वल है। उन्होंने महिलाओं के स्वरोजगार के लिये चलाये जा रहे एटीडीसी के सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र के बारे में जानकारी भी दी।
नागरिकों ने प्रस्तुत किये विभिन्न सुझाव
प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन में आये नागरिकों ने जन्मशताब्दी वर्ष व विश्वविद्यालय के विकास के सम्बंध में अनेक सुझाव भी दिये। वरिष्ठ साहित्यकार रामकुमार तिवाड़ी ने विश्वविद्यालय का एक छोटा सूचनायें-जानकारी दिये जाने और आगन्तुकों के सम्मान व मार्गदर्शन के लिये शहर के अन्दर एक केन्द्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता बताई। भारत विकास परिषद के अध्यक्ष पुरूषोत्तम सोनी ने एम.काॅम इंग्लिश मीडियम में शुरू करने का सुझाव दिया। प्रसिद्ध लेखक पं. परमानन्द शर्मा ने लोगों की रूचि के अनुरूप शताब्दी समारोह वर्ष के दौरान आयुर्वेद के पंचकर्म के लिये महाविद्यालय खोलने का सुझाव दिया। उन्होंने स्वास्थ्य और आयुर्वेद तथा घरेलु समस्याओं व जीवन पद्धति के समबंध में कार्यशालायें आयेाजित करने की आवश्यकता बताई। विप्र फाउंडेशन के तहसील अध्यक्ष जगदीश प्रसाद पारीक ने महिला स्वयंसेवी सहायता समूहों की महिलाओं का सम्मेलन रखकर उन्हें यहां चल रहे सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र के बारे में जानकारी दी जाकर प्रेरित किया जाने की सलाह दी। राजेश विद्रोही ने दार्शनिकों की कार्यशाला आयोजित किये जाने एवं लेखक सम्मेलन के आयोजन का सुझाव दिया। नीतेश माथुर, ललित वर्मा, सुमित्रा आर्य, विजयकुमार भोजक, शांतिलाल बैद, नारायण लाल शर्मा आदि ने भी अपनी बात रखी।
प्राकृत व जैन विद्या विषयों में निःशुल्क शिक्षा-सुविधायें
विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक डाॅ. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने प्रारम्भ में विश्वविद्यालय का परिचय प्रस्तुत करते हुये यहां संचालित विभागों और पाठ्क्रमों करी जानकारी दी और बताया कि यहां प्राकृत व संस्कृत तािा जैनालोजी विभाग में विद्यार्थियों के लिये समस्त सुविधायें निःशुल्क उपलब्ध है। अहिंसा एवं शांति विभाग में छात्रवृति की व्यवस्था है तथा योग व जीवन विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों के जीवन में उपयोगी होने के साथ यह केरियर प्रदान करता है। सामाजिक कार्य विभाग ऐसा विभाग है जिसके विद्यार्थी आज तक सारे अच्छे पदों पर नियुक्त हैं। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में बीए तथा एमए का अध्ययन 70 साल तक की उम्र के विद्यार्थी कर रहे हैं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। अंत में कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने की तथा इसमें जैन विश्व भारती के पूर्व न्यासी भागचंद बरड़िया, शहर काजी सैयद मो. अयूब अशरफी, पूर्व प्रधान जगन्नाथ बुरड़क, रमेश सिंह राठौड़, गिरधर चैहान, नरेन्द्र भोजक, मोहनसिंह जोधा, विकास जैन, गौपुत्र सेना के अध्यक्ष रामेश्वर जाट, मोईनुद्दीन पडिहार, पार्षद मोहनसिंह चैहान, रेणु कोचर, अंजना शर्मा, टोडरमल प्रजापत, सुमित्रा आर्य, रघुवीर सिंह राठौड़, राधेश्याम शर्मा, सुशील पीपलवा, माली समाज के अध्यक्ष मुरली मनोहर सैनी, नजीर खां मोयल, अभय नारायण शर्मा, रमेश चैधरी, किरा बरमेचा, राजदेवी सिंघी, सुनीता बैद, राजश्री भूतोडिया, मीनू बोथरा, शर्मिला, राजेन्द्र माथुर, शांतिलाल फुलवारिया, आलोक कोठारी, सुभाष शर्मा, सलीमखां मोयल, कैलाश घोड़ेला, देवाराम पटेल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल ने किया।
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