जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में हिंदी की वर्तमान में प्रासंगिकता पर राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम आयोजित
हिन्दी का विपुल साहित्य हमें आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम- प्रो. शर्मा
लाडनूँ, 14 सितम्बर 2020। हिन्दी दिवस के अवसर पर एक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के पूर्व डीन एवं शिक्षाशास्त्री प्रो. गोपीनाथ शर्मा ने ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में हिंदी को महत्त्व दिया हैं। उन्होंने हिंदी दिवस मनाने का औचित्य, प्रासंगिकता एवं अवदान पर प्रकाश डालते हुये बताया कि 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को भारत संघ की भाषा के रूप में घोषित किया गया। 15 वर्ष तक अर्थात सन 1965 तक अग्रेंजी की अनिवार्यता को भी लागू कर दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 365 के उपबन्ध 1, 2 व 3 में लिखा हैं कि संसद कोई नियम नहीं बनावें तो संसद की कार्यवाही हिंदी में होगी। उस समय अग्रेंजी की लगायी गयी वैसाखी आज तक कष्ट दे रही हैं। 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित कर दिया गया, जिसमें यह व्यवस्था कर दी गयी हिंदी के साथ अग्रेंजी का उपयोग सदा के लिए अनिवार्य रहेगा। हिंदी का साहित्य विपुल है, हम हिंदी भाषा से भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह भाषा चिन्तन, सोच, रचनात्मकता विकसित करती हैं।
आधा तीतर आधा बटेर कर रहे हैं
केशव विद्यापीठ जामडोली जयपुर के श्रीअग्रेसन स्नात्तकोतर शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय सी.टी.ई की प्रो. रीटा शर्मा ने द्वितीय विशेषज्ञ के रूप में कहा कि आजकल की अग्रेंजी से हम आधा तीतर आधा बटेर के समान हो गये हैं। ना तो हम अग्रेंजी ठीक बोल पा रहे हैं ना ही हिंदी। हमें इस पर विचार करना होगा। अधिकांशत हिंदी व अंग्रेजी का मिश्रित रूप प्रचलन में आ गया हैं। हिंदी दिवस की प्रासंगिकता को विविध कार्यक्रमों जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता, शब्दकोश का संवर्धन, हिंदी की मानक शब्दावली का प्रयोग, कविता लेखन, वर्तनी आदि से बढ़ाना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में हिंदी भाषा ही समर्थ होगी। अधिकाशतः भारत के प्रान्त हिंदी में ही वार्ता, संवाद, विचार-विनिमय करते हैं। हिंदी आज आमजन, बाजार, घरेलू भाषा के रूप में सशक्त हैं। गीत, भजन, संगीत का आनन्द और परमानन्द हिंदी में ही समाहित हैं। कुछ लोग हिंदी का गुणगान हिंदी दिवस पर करते हैं, बाकी दिवस अग्रेंजी में कार्य करते हैं। हमें राजकीय, प्रशासकीय, तकनीकी, विज्ञान, संगणक आदि में इस भाषा का प्रयोग बढ़ाना होगा। संसद, विधानसभा, नगरपरिषद तथा पंचायत हिंदी भाषा में ही चलानी चाहिए। हिंदी ने ही राष्ट्र का चहुमुखी विकास किया हैं।
छात्रा सुमन चैधरी एवं हृषिता स्वामी ने हिंदी को सामाजिक जन-जीवन, व्यवहार एवं व्यापर में प्रयोग की जाने वाली भाषा कहा। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बी.एल. जैन ने विशेषज्ञ का परिचय कराते हुए कहा राष्ट्र की पहचान के लिए राष्ट्र भाषा का होना आवश्यक है, हिंदी ही समृद्ध, सशक्त और गौरव प्रदान करने वाली भाषा है। आभार ज्ञापन डॉ. सरोज राय ने किया। तकनीकी कार्य मोहन सियोल ने किया। कार्यक्रम में डॉ. सुनीता, डॉ रेणु शर्मा, डॉ नवनीत शर्मा, डॉ अनीता जैन, नन्द किशोर, डॉ. संतोष शर्मा, अलका जैन, संस्थान के संकाय सदस्य एवं आदि शिक्षाविद तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
अन्य विभागों ने भी मनाया हिन्दी दिवस
आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में हिन्दी दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्ष्ज्ञता में हुआ। प्रो. त्रिपाठी ने हिन्दी की महता पर प्रकाश डालते हुये इस भाषा की विशेषताओं के बारे में बताया तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान के लिये राजेन्द्र सिन्हा को याद किया और उनकी स्वर्णजयंती 14 सितम्बर का महत्व बताया। कार्यक्रम में मुमुक्षु आयुषी ने प्रियंका राठौड़ ने हिन्दी कवितायें प्रस्तुत की। डाॅ. बलवीर सिंह व सोमवीर सांगवान ने हिन्दी दिवस एवं हिन्दी भाषा के महत्व के बारे में बताया। अभिषेक चारण ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष मुस्तफा कमाल का उदाहरण देते हुये राष्ट्रभाषा के महत्व के बारे में बताया। जैविभा विश्वविद्यालय के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में हिन्दी दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने हिन्दी को सम्पूर्ण देश की भाषा बताया तथा कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं बल्कि यह संस्कृति है। संत तुलसीदास से लेकर आधुनिक कवियों तक हिन्दी के काव्यों की सृजना हुई है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के सहायक आचार्य अरिहंत जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
Latest from
- पर्युषण पर्व सप्ताह में दूसरे दिवस ‘स्वाध्याय दिवस’ मनाया
- प्राकृत भाषा और साहित्य में निहित है भारतीय संस्कृति का मर्म- प्रो. अनेकान्त जैन
- योगासन स्वस्थ एवं फिट रहने का महत्वपूर्ण आधार
- फिट इंडिया शपथ कार्यक्रम का आयोजन
- जैन विश्व भारती संस्थान में राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन
- दो छात्राओं का नेवी और सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्तियां
- एन.एस.एस. द्वारा बैडमिंटन खेल का आयोजन
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर जागरूकता रैली निकाली
- छात्राध्यापिकाओं ने जन्माष्टमी पर्व मनाया, नृत्य व भजनों से कृष्ण को रिझाया
- युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर: शांतिपूर्ण समाज का आधार
- राष्ट्रीय अन्तरिक्ष दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन
- संस्कृत दिवस व रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी और लहरिया महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
- सात दिवसीय ‘रैगिग अपराध निषेध’ कार्यशाला का आयोजन
- वैदिक परम्परा में निहित हैं जीव और प्राण कीे वैज्ञानिकता के सूत्र- डाॅ. साहू
- एंटी रैगिंग जागरूकता एवं नशा मुक्ति कार्यक्रम आयोजित
- सात दिवसीय ‘रैगिग अपराध निषेध’ कार्यशाला का आयोजन
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने पेड़ों पर लटकाए मिट्टी के परिंडे
- भारतीय ज्ञान परमपरा समस्त विश्व में बेहतरीन है, इसे बचाए रखें- प्रो. जैन
- डाॅ. जैन की ‘विकास: गांधी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ की दृष्टि में’ पुस्तक के लिए किया गया चयन
- एनसीसी कैडैट्स छात्राओं को मिले सफल प्रशिक्षण सर्टिफिकेट्स
- शोध में गुणवता के साथ जवाबदेही और उपयोगिता के गुण भी आवश्यक- प्रो. दूगड़
- प्रो. दूगड़ की ‘अतींद्रिय ज्ञान’ पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत
- संकल्प के प्रति एकाग्र रहने से लक्ष्य की प्राप्ति संभव- प्रो. त्रिपाठी
- दुर्लभ पांडुलिपियां का अद्भूत संग्रह और संरक्षण का महत्वपूर्ण केन्द्र, जहां है साढे छह हजार हस्तलिखित ग्रंथ सुरक्षित
- व्याख्यानमाला में सर्वमान्य आचार्य कुंदकुंद के साहित्य पर सूक्ष्मता से विवेचन प्रस्तुत
- संस्कार निर्माण के साथ योग शिक्षा रोजगार प्राप्ति का भी साधन- प्रो. त्रिपाठी
- स्वच्छता एवं मतदान जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित
- महिलाओं व पुरूषों की प्रजनन प्रणाली और बांझपन के कारण और निवारण पर विमर्श
- पत्रकार के रूप में महात्मा गांधी ने अहिंसक सम्प्रेषण लोगों के दिलों तक पहुंचाया- प्रो. चितलांगिया
- ‘भारतीय परंपराओं में अहिंसक संप्रेषण की खोज’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान का 34वें स्थापना दिवस समारोह आयोजित