‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के तहत की जा रही सांस्कृतिक प्रतियोगिता में लोकनृत्य एकल का आयोजन
‘थानैं काजळिया बणाल्यूं, थांनैं नैणां में रमा ल्यूं’
लाडनूँ 14 फरवरी 2022। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के तहत आयोजित की जा रही सांस्कृतिक प्रतियोगिता का शुभारम्भ सोमवार को लोकनृत्य एकल के साथ किया गया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक सचिव डॉ. अमिता जैन ने कहा कि प्रतियोगिताओं से विद्यार्थी अपने अंदर छिपी हुई प्रतिभा को उभार पाता है और उसका सर्वांगीण विकास संभव होता है। उन्होंने कहा कि कुछ समय से कोविड-काल, सरकारी गाईड लाईन व अन्य कारणों में हर वर्ष होने वाले ये कार्यक्रम नहीं हो पाए थे, इस वर्ष इन्हें विद्यार्थियों कर उत्सुकता को देखते हुए फिर से शुरू किया जा रहा है। इसमें अलग-अलग प्रतियोगिताओं में लिए अलग-अलग दिवस तय किए गए हैं। उन्होंने प्रतियोगिता के नियम बताए तथा विद्यार्थियों की हौसला अफजाई की। प्रगति चौरड़िया ने बताया कि भारत के विभिन्न प्रांतों की अलग-अलग संस्कृतियों में लोकगीतों व लोकनृत्यों का अपना स्थान है। राजस्थान में जनमानस में रचे-बसे गीतों व नृत्यों का आकर्षण सभी को लुभाता है और इनकी गूंज तो विदेशों तक में प्रख्यात हो चुकी है। कार्यक्रम में डॉ. पुष्पा मिश्रा व डॉ. अनुस्यूति जैन ने भी सम्बोधित किया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पूजा इनाणियां रही, द्वितीय स्थान पर कल्पिता और तृतीय स्थान पर मोनिका जोशी रही। प्रतियोगिता में कुल 33 छात्राओं ने हिस्सा लिया। निर्णायक के रूप में डॉ. पुष्पा मिश्रा, प्रगति चौरड़िया व डॉ. अनुस्यूति जैन ने प्रस्तुति देने वाली छात्राओं की कला का मूल्यांकन किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ. विनोद कस्वां, डॉ. लिपि जैन व डॉ. आभासिंह ने निर्णायकों को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनका सम्मान किया।
सजीव हो गए राजस्थानी लोकगीत
प्रतियोगिता में छात्राओं ने राजस्थानी लोकगीतों पर नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियां देकर सबको मोहित कर दिया। ऐसा लगा जैसे राजस्थान की मरूधरा के लोकसंगीत को सजीव कर दिया गया है। कार्यक्रम में ऐश्वर्या सोनी ने राज्य के लोकप्रिय गीत ‘घूमर घूमै रै....’ पर नृत्य कर सबको आनन्दित किया। जयश्री वर्मा ने बाईसा रा बीरा, गोरबंद नखरालो आदि मिलेजुले गानों पर अपने नृत्य पर भावों को जीवित किया। रेखा कुमारी ने बांसुरिया पर गीत पेश किया। मंजू चौधरी ने ‘बणज्या मोरनी....’ गीत पर प्रस्तुति दी। मोनिका जोशी ने राजस्थान के मनभावन गीत ‘थानैं काजळिया बणाल्यूं, थानैं नैणां में रमा ल्यूं, राज पलकां मैं बंद कर राखूं ली’ पर चितलुभावन नृत्य की प्रस्तुति दी। सरिता चौधरी ने ‘मैं तो नाचबा नैं आईसा’ पर, प्रीति राजपुरोहित ने ‘काळी कळावण उमड़ी’ पर टीना कुमारी ने चिरमी पर, निशा जाट ने ’टूटे बाजबंद री लूम’ पर, रितू शेखावत ने ‘बनके दिवानी ढोला मैं नाचूं’ पर, कौशलया सैनी ने मिक्स गीतों पर, पूजा इनाणियां ने काळ्यो कूद पड़्यो मेळा में’, ज्योति भोजक ने ‘थानैं काजळियो बणाल्यूं’ पर अपनी भाव-भंगिमाओं का प्रभाव बिखेरा। ममता पंवार, अनीश गौड़, आयुषी शर्मा, महक चौहान, खुशी जोधा आदि ने भी अलग-अलग गीतों पर नृतय प्रस्तुत करके अपनी कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन भावना चौधरी व ज्योति ने किया। अंत में डॉ. लिपि जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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